तमाम उम्र मैं आँसू बहाऊँगा 'अख़्तर'
तमाम उम्र ये सदमा रहेगा मेरे साथ
कि अपने आप को मैं ने फ़रोख़्त कर डाला
किसी को पाने की नाकाम आरज़ू के हाथ
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
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सुनने वाले फ़साना तेरा है
मैं किसी से अपने दिल की बात कह सकता न था
मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है
शोले भड़काओ देखते क्या हो
सई-ए-राहत हो गई ख़्वाब-ओ-ख़याल
मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है
ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी
जाँ-सिपारी के भी अरमाँ ज़िंदगी की आस भी
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है
इस में कोई मिरा शरीक नहीं
तैरे गीतों की लय अरे तौबा