क़ल्ब ज़िंदा है लफ़्ज़ हैं बे-जान
कीजिए क्या अगर न चुप रहिए
जिस को दुनिया ज़बान कहती है
उस को जज़्बात का कफ़न कहिए
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Habib Jalib
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(763) Peoples Rate This
जाँ-सिपारी के भी अरमाँ ज़िंदगी की आस भी
आह! मर्ग-ए-आरज़ू का माजरा अब क्या कहूँ
इलाज-ए-'अख़्तर'-ए-ना-काम क्यूँ नहीं मुमकिन
मोहब्बत! ऐ कि तू देवी है ग़म की रोए जा
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
सोते में कोई आह भरी तो होगी
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
हरगिज़ नहीं जीने से दिल-ए-ज़ार ख़फ़ा
हवाएँ ख़ुनुक चाँदनी पुर-सुकूँ
तब्अ इशरत-पसंद रखता हूँ
तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना
एक तस्वीर खींच दी गोया