कोई जंगल में गा रहा है गीत
धीमी आवाज़ दुख भरा लहजा
दिल को गोया ये मिल गया है हुक्म
अश्क-ए-ख़ूँ बन के आँख से बह जा
Anwar Masood
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Gulzar
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
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वो दिल नहीं रहा वो तबीअत नहीं रही
मुतरिबा जब सदा-ए-साज़ के साथ
इलाही उस को मोहब्बत से कुछ तअल्लुक़ है
जिन को है ऐश-ए-दिल मयस्सर, वो
हर तरफ़ एक बे-हिजाबी है
दूसरों का दर्द 'अख़्तर' मेरे दिल का दर्द है
जो हो न सका हम से वो कर जाओ तुम
बहार आई ज़माना हुआ ख़राबाती
इक तीर कलेजे में पिरोया हम ने
हो के बे-फ़िक्र तान उड़ाए जा
मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में
बहार-ए-फ़िक्र के जल्वे लुटा दिए हम ने