इधर दिमाग़ हैं साकित दिलों को सकता है
उधर सुकूत भी फ़रियाद से छलकता है
वहाँ तो हल्क़ में फँसता नहीं निवाला भी
यहाँ ये हाल कि सीने में साँस अटकता है
Jaun Eliya
Wasi Shah
Rahat Indori
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(701) Peoples Rate This
मैं दिल को चीर के रख दूँ ये एक सूरत है
ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन
उमर भर जीने की तोहमत भी उठेगी या-रब
वो यास कि उम्मीद कि चश्मे फूटें
हल्की हल्की फुवार के दौरान में
हरगिज़ नहीं जीने से दिल-ए-ज़ार ख़फ़ा
मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में
जीने की ब-ज़ाहिर नहीं कुछ आस हमें
उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
मौत की सी पुर-सुकूँ वीरानियाँ
दिन मुरादों के ऐश की रातें
गीत के हाथों लुटा जाता हूँ मैं