हुस्न की दास्ताँ बना डाला
इश्क़ का तर्जुमाँ बना डाला
भर के आज़ा में रक़्स का जादू
तू ने इन को ज़बाँ बना डाला
Mir Taqi Mir
Wasi Shah
Gulzar
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
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ग़म-ज़दा हैं मुब्तला-ए-दर्द हैं नाशाद हैं
अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
ये आज की दुनिया भी है मरने वाली
ऐ बख़्त! मज़े कुछ तो उठाऊँ मैं भी
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
शबाब नाम है उस जाँ-नवाज़ लम्हे का
तिरा आसमाँ नावकों का ख़ज़ीना हयात-आफ़रीना हयात-आफ़रीना
सारा जहाँ है चाँद की किरनों से सीम-गूँ
ये आरज़ुएँ ये जोश-ए-अलम ये सैल-ए-नशात
नश्शा-ए-ख़्वाब में मदहोश है सारी दुनिया
हल्की हल्की फुवार के दौरान में