हल्की हल्की फुवार के दौरान में
दफ़अतन सूरज जो बे-पर्दा हुआ
मैं ने ये जाना कि वहशत में कोई
रोते रोते खिलखिला कर हँस पड़ा
Anwar Masood
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Parveen Shakir
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अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
वो बहर-ए-कर्ब-ओ-अलम का ख़ुलासा है यकसर
इलाज-ए-'अख़्तर'-ए-ना-काम क्यूँ नहीं मुमकिन
पुर-कैफ़ ज़ियाएँ होती हैं पुर-नूर उजाले होते हैं
दिल तो रोए मगर मैं गाए जाऊँ
मोहब्बत! ऐ कि तू देवी है ग़म की रोए जा
गीत के हाथों लुटा जाता हूँ मैं
बातें करने में फूल झड़ते हैं
फ़ज़ा उमडी हुई है इक छलकते जाम की मानिंद
ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं
आफ़तों में घिर गया हूँ ज़ीस्त से बे-ज़ार हूँ
दिन मुरादों के ऐश की रातें