फ़ज़ा है नूर की बारिश से सीम-गूँ इस वक़्त
जहान-ए-मस्त पे तारी है इक सकूँ इस वक़्त
न छेड़ दर्द-ए-जुदाई की दास्ताँ ऐ दिल
मुझे ख़बर नहीं मैं किस के पास हूँ इस वक़्त
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शोले भड़काओ देखते क्या हो
आब-ए-दरिया में है जिस तरह रवानी पिन्हाँ
समझता हूँ मैं सब कुछ सिर्फ़ समझाना नहीं आता
शबाब-ए-दर्द मिरी ज़िंदगी की सुब्ह सही
दिल-ए-फ़सुर्दा में कुछ सोज़ ओ साज़ बाक़ी है
ऐ सोज़-ए-जाँ-गुदाज़ अभी मैं जवान हूँ
ये आज की दुनिया भी है मरने वाली
कोई रोए तो मैं बे-वजह ख़ुद भी रोने लगता हूँ
मोहब्बत! ऐ कि तू देवी है ग़म की रोए जा
रात को बैठ कर लब-ए-दरिया
मिला के क़तरा-ए-शबनम में रंग ओ निकहत-ए-गुल
गोशा-ए-बाग़ की मुलाक़ातें