एक तस्वीर खींच दी गोया
कैफ़-ए-सहबा-ए-अर्ग़वानी की
क्यूँ न मस्ती छलक पड़े रुख़ से
नींद और नींद भी जवानी की
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
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Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
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कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं
सुनने वाले फ़साना तेरा है
रंग ओ बू में डूबे रहते थे हवास
वो दिल नहीं रहा वो तबीअत नहीं रही
जब से मुँह को लग गई 'अख़्तर' मोहब्बत की शराब
नश्शा-ए-ख़्वाब में मदहोश है सारी दुनिया
सरशार हूँ छलकते हुए जाम की क़सम
याद-ए-माज़ी अज़ाब है या-रब
इक टीस कलेजे को मसलती ही रही
शोले भड़काओ देखते क्या हो
तश्कीक ने ईक़ान से महरूम रखा
मिला के क़तरा-ए-शबनम में रंग ओ निकहत-ए-गुल