इक तीर कलेजे में पिरोया हम ने
इक ज़ख़्म दिल-ए-ज़ार में बोया हम ने
लूटा किए फिर उम्र भर आहों के मज़े
यूँ जन्नत ओ दोज़ख़ को समोया हम ने
Jaun Eliya
Habib Jalib
Anwar Masood
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Parveen Shakir
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(725) Peoples Rate This
बातें करने में फूल झड़ते हैं
हर वक़्त नौहा-ख़्वाँ सी रहती हैं मेरी आँखें
आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है
मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है
जी को नाहक़ निढाल करते हो
गीत के हाथों लुटा जाता हूँ मैं
बुत लाखों मोहब्बत में तराशे ऐसे
इस रुपहली शराब-ए-नूरीं से
एक तस्वीर खींच दी गोया
इक टीस कलेजे को मसलती ही रही
पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
मुतरिब-ए-दिल की वो तानें क्या हुईं