आफ़ात-ओ-हवादिस से भरी है दुनिया
दुखड़ों से ग़रज़ पटी पड़ी है दुनिया
ज़िन्हार तअल्ली नहीं मेरा ये क़ौल
मेरे ही लिए ख़ल्क़ हुई है दुनिया
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Javed Akhtar
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(791) Peoples Rate This
बहार-ए-फ़िक्र के जल्वे लुटा दिए हम ने
दिल-ए-हसरत-ज़दा में एक शोला सा भड़कता है
मेरे रुख़ से सुकूँ टपकता है
नसीम, फूलों की रौनक़, खिले हुए तारे
मुतरिबा जब सदा-ए-साज़ के साथ
कर दिया हाफ़िज़े में हश्र बपा
आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है
दिन मुरादों के ऐश की रातें
मोहब्बत करने वालों के बहार-अफ़रोज़ सीनों में
फ़िदा-ए-मंज़िल-ए-बे-जादा हैं ख़ुदा रक्खे
इस मईशत के साए में हमदम
इधर दिमाग़ हैं साकित दिलों को सकता है