उस से पूछे कोई चाहत के मज़े
जिस ने चाहा और जो चाहा गया
Anwar Masood
Jaun Eliya
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Mohsin Naqvi
Parveen Shakir
Habib Jalib
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Gulzar
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बहार-ए-फ़िक्र के जल्वे लुटा दिए हम ने
आसूदगी-ए-ज़ात नहीं हो सकती
साँसों में लिए कर्ब-ओ-बला जीता हूँ
उजड़ी दुनिया को बसाया है ज़रा देखो तो
ये हसीन फ़ितरत के हुस्न का अनीला-पन
आईना-ए-निगाह में अक्स-ए-शबाब है
हरगिज़ नहीं जीने से दिल-ए-ज़ार ख़फ़ा
रोए बग़ैर चारा न रोने की ताब है
कोई रोए तो मैं बे-वजह ख़ुद भी रोने लगता हूँ
जी को नाहक़ निढाल करते हो
इक तीर कलेजे में पिरोया हम ने