अपनी उजड़ी हुई दुनिया की कहानी हूँ मैं
एक बिगड़ी हुई तस्वीर-ए-जवानी हूँ मैं
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दिल के अरमान दिल को छोड़ गए
किसी ख़याल में मदहोश जा रहा था मैं
उन में रहती थी इक हँसी बन कर
पिहना-ए-आसमाँ पे हैं तारी उदासियाँ
इस रुपहली शराब-ए-नूरीं से
ये सनम रिवायत-ओ-नक़्ल के हुबल-ओ-मनात से कम नहीं
हर तरफ़ एक बे-हिजाबी है
वो यास कि उम्मीद कि चश्मे फूटें
ग़म-ए-हयात कहानी है क़िस्सा-ख़्वाँ हूँ मैं
कोई मआल-ए-मोहब्बत मुझे बताओ नहीं
अब कहाँ हूँ कहाँ नहीं हूँ मैं
बहार-ए-फ़िक्र के जल्वे लुटा दिए हम ने