शोले भड़काओ देखते क्या हो
शोले भड़काओ देखते क्या हो
जल उठे घाव देखते क्या हो
ग़र्क़-ए-ख़ूनाब होने वाली है
दर्द की नाव देखते क्या हो
दिल किसी याद ने छुआ होगा
आगे बढ़ जाओ देखते क्या हो
अंजुम-ए-चर्ख़-ए-फ़िक्र-ए-आदम का
चल गया दाव देखते क्या हो
पिए बैठे हैं ज़हर-ए-दौराँ हम
जाम उठवाओ देखते क्या हो
हुस्न से लो नज़र की भीक 'अख़्तर'
हाथ फैलाओ देखते क्या हो
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