तमाम उम्र गुज़र जाती है कभी पल में
कभी तो एक ही लम्हा बसर नहीं होता
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Gulzar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Wasi Shah
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(837) Peoples Rate This
मोहब्बतों में बहुत रस भी है मिठास भी है
पहले हम इश्क़ किया करते थे
हमें हर आने वाला ज़ख़्म-ए-ताज़ा दे के जाता है
यहाँ मौसम भी बदलें तो नज़ारे एक जैसे हैं
तवील-तर है सफ़र मुख़्तसर नहीं होता
ज़िंदगी की तेज़ इतनी अब रवानी हो गई
बदन के शहर में आबाद इक दरिंदा है
ये दिल कहता है कोई आ रहा है