Sad Poetry of Akhlaque Bandvi
नाम | अख़लाक़ बन्दवी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhlaque Bandvi |
जन्म की तारीख | 1964 |
जन्म स्थान | shahganj, up |
वही है गर्दिश-ए-दौराँ वही लैल-ओ-नहार अब भी
मुझ से मत पूछ मिरा हाल-ए-दरूँ रहने दे
मैं परेशाँ हूँ मिलें चंद निवाले कैसे
कभी जो आँखों में पल-भर को ख़्वाब जागते हैं
जुस्तुजू ने तिरी हर चंद थका रक्खा है
इधर चराग़ जल गए उधर चराग़ जल गए
फ़ौजियों के सर तो दुश्मन के सिपाही ले गए
फ़लक से चाँद चमन से गुलाब ले आए
चर्ख़ भी छू लें तो जाना है इसी मिट्टी में
अश्क आँखों में भरे बैठे हो
अभी अश्कों में ख़ूँ शामिल नहीं है