Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_626vv48tq7vuco91dadcjompt5, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
मैं परेशाँ हूँ मिलें चंद निवाले कैसे - अख़लाक़ बन्दवी कविता - Darsaal

मैं परेशाँ हूँ मिलें चंद निवाले कैसे

मैं परेशाँ हूँ मिलें चंद निवाले कैसे

उस को दौलत वो मिली है कि सँभाले कैसे

उँगलियाँ अपनी नगीनों से सजाने वाले

तुझ को लगते हैं मिरे हाथ के छाले कैसे

इल्म से फेर लीं तू ने जो निगाहें अपनी

फिर तिरे ज़ेहन में फूटेंगे उजाले कैसे

देखते रह गए पानी की रवानी हम लोग

रास्ते लोगों ने दरिया में निकाले कैसे

उम्र लग जाती है इक घर को बनाने में हमें

मकड़ियाँ रोज़ ही बुन लेती हैं जाले कैसे

तू ने 'अख़लाक़' क़सम खाई थी ज़ब्त-ए-ग़म की

फिर ये पलकों पे नमी होंटों पे नाले कैसे

(914) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise In Hindi By Famous Poet Akhlaque Bandvi. Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise is written by Akhlaque Bandvi. Complete Poem Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise in Hindi by Akhlaque Bandvi. Download free Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise Poem for Youth in PDF. Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise is a Poem on Inspiration for young students. Share Main Pareshan Hun Milen Chand Niwale Kaise with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.