Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_47c8da4292fcfe82c74086fce4e1cddc, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
चर्ख़ भी छू लें तो जाना है इसी मिट्टी में - अख़लाक़ बन्दवी कविता - Darsaal

चर्ख़ भी छू लें तो जाना है इसी मिट्टी में

चर्ख़ भी छू लें तो जाना है इसी मिट्टी में

मुस्तक़िल अपना ठिकाना है इसी मिट्टी में

जिन के दामन पे कभी चांद-सितारे चमके

दफ़न उन का भी फ़साना है इसी मिट्टी में

बे-अमल हाथ लगाए भी तो ख़ाली जाए

हाँ जफ़ा-कश का ख़ज़ाना है इसी मिट्टी में

इस तरह चल कि ये पामाल न होने पाए

बे-ख़बर आब है दाना है इसी मिट्टी में

हम-वतन ख़ाक-ए-वतन क्यूँ न हो प्यारी कि हमें

बा'द-अज़-मर्ग भी जाना है इसी मिट्टी में

लोग कल कह के तुझे याद करेंगे 'अख़लाक़'

शाइ'र-ए-फ़ख़्र-ए-ज़माना है इसी मिट्टी में

(944) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein In Hindi By Famous Poet Akhlaque Bandvi. CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein is written by Akhlaque Bandvi. Complete Poem CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein in Hindi by Akhlaque Bandvi. Download free CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein Poem for Youth in PDF. CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein is a Poem on Inspiration for young students. Share CharKH Bhi Chhu Len To Jaana Hai Isi MiTTi Mein with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.