रू-ब-रू-ए-मर्ग

मौत से क्यूँ डरूँ मैं आज भला

मौत तो ज़िंदगी की वुसअ'त है

जिस ममात से डरते हैं लोग

वो तो पा चुका था बहुत पहले मैं

मेरे अरमानों की मौत

मेरे जज़्बात की मौत

अपनों से मुलाक़ात की मौत

इन सारे महाकात की मौत

कौन रोएगा भला इस कमीं की खटिया पर

मर गया था उन के लिए एक अहद ही पहले

सब मुझे छोड़ चले छोड़ चले छोड़ चले

अब कहीं से ख़बर नहीं आती

अपनी यासीन ख़ुद ही पढ़ लूँगा

(780) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Ru-ba-ru-e-marg In Hindi By Famous Poet Akhlaq Ahmad Ahan. Ru-ba-ru-e-marg is written by Akhlaq Ahmad Ahan. Complete Poem Ru-ba-ru-e-marg in Hindi by Akhlaq Ahmad Ahan. Download free Ru-ba-ru-e-marg Poem for Youth in PDF. Ru-ba-ru-e-marg is a Poem on Inspiration for young students. Share Ru-ba-ru-e-marg with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.