मक़्तल

मेरे सीने पे सर रख के रोती रही

मेरी पलकों से पलकें भिगोती रही

मैं भी रोता रहा

मेरे सीने पे सर रख के सोती रही

मैं भी सोता रहा

मेरी आँखों में कुछ ढूँढती सी रही

मैं भी देखा किया

ख़ामुशी के हिजाबों में हलचल रही

मैं खड़ा पुर-सुकूँ बुत तड़पता रहा

वक़्त-ओ-हालात फिर दरमियाँ आ गए

दूर होते गए

फिर ख़ुदा हाफ़िज़

फिर जुदा हो गए

फिर तसव्वुर की दुनिया

मसाफ़त की अड़चन

वही वक़्त-ओ-हालात की बंदिशें

दो धड़कते दिलों आरज़ुओं को

दुनिया ने मक़्तल में अपने

किया है तह-ए-तेग़

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Maqtal In Hindi By Famous Poet Akhlaq Ahmad Ahan. Maqtal is written by Akhlaq Ahmad Ahan. Complete Poem Maqtal in Hindi by Akhlaq Ahmad Ahan. Download free Maqtal Poem for Youth in PDF. Maqtal is a Poem on Inspiration for young students. Share Maqtal with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.