Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_67c3bac7da616026e83f15b29e2f467d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
लगा के आग बुझाने की बात करते हो - अख़लाक़ अहमद आहन कविता - Darsaal

लगा के आग बुझाने की बात करते हो

लगा के आग बुझाने की बात करते हो

फफूले दिल में सजाने की बात करते हो

नहीं समझते मिरी हालत-ए-दरूँ को तुम

फ़क़त जो करते बहाने की बात करते हो

सुनाऊँ मैं जो कभी हाल अपनी उल्फ़त का

सुबूत मुझ से दिखाने की बात करते हो

गुज़ार कर मैं यहाँ आया हूँ शब-ए-ज़ुल्मत

करम न कर के जलाने की बात करते हो

जो पूछता हूँ कभी बे-रुख़ी की मैं इल्लत

बना के बात बनाने की बात करते हो

कभी सितम पे जो भरता हूँ आह तब भी तो

मिरे लहू में नहाने की बात करते हो

तिरे हुज़ूर में आया जो आहन-ए-बे-बस

पिन्हा के बेड़ी न जाने की बात करते हो

(1385) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho In Hindi By Famous Poet Akhlaq Ahmad Ahan. Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho is written by Akhlaq Ahmad Ahan. Complete Poem Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho in Hindi by Akhlaq Ahmad Ahan. Download free Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho Poem for Youth in PDF. Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho is a Poem on Inspiration for young students. Share Laga Ke Aag Bujhane Ki Baat Karte Ho with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.