Ghazals of Akhilesh Tiwari
नाम | अखिलेश तिवारी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akhilesh Tiwari |
वह शक्ल वह शनाख़्त वह पैकर की आरज़ू
वक़्त कर दे न पाएमाल मुझे
वहम ही होगा मगर रोज़ कहाँ होता है
उड़ा के फिर वही गर्द-ओ-ग़ुबार पहले सा
नदी का क्या है जिधर चाहे उस डगर जाए
न धूप धूप रहे और न साया साया तो
मुलाहिज़ा हो मिरी भी उड़ान पिंजरे में
किसे जाना कहाँ है मुनहसिर होता है इस पर भी
काग़ज़ प हर्फ़ हर्फ़ निखर जाना चाहिए
कभी तो डूब चले हम कभी उभरते हुए
हँसना रोना पाना खोना मरना जीना पानी पर
गुत्थी न सुलझ पाई गो सुलझाई बहुत है