जिस के बग़ैर जी नहीं सकते थे जा चुका
पर दिल से दर्द आँख से आँसू कहाँ गया
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तिरे ग़ुरूर की इस्मत-दरी पे नादिम हूँ
रह जाएगी ये सारी कहानी यहीं धरी
ऐसा एक मक़ाम हो जिस में दिल जैसी वीरानी हो
न अपना नाम न चेहरा बदल के आया हूँ
ख़्वाब आराम नहीं ख़्वाब परेशानी है
अब भी अक्सर ध्यान तुम्हारा आता है
ये सारी धूल मिरी है ये सब ग़ुबार मिरा
सुन! हिज्र और विसाल का जादू कहाँ गया
नींद में गुनगुना रहा हूँ मैं
अब तुझे मेरा नाम याद नहीं