सर बस्ता हयात ज़ात गुंजान मिरी
दरयाफ़्त नहीं इस क़दर आसान मिरी
हाले से बने हुए हैं मेरे अतराफ़
ख़ुद मेरा मुक़द्दर नहीं पहचान मिरी
Wasi Shah
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Gulzar
Anwar Masood
Parveen Shakir
Jaun Eliya
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Habib Jalib
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(869) Peoples Rate This
पहुँच के जो सर-ए-मंज़िल बिछड़ गया मुझ से
दश्त-ए-अदम का सन्नाटा
सच्चा दिया
फ़ित्ने अजब तरह के समन-ज़ार से उठे
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
किस नहज से हम ने इक कहानी कह दी
दहकते कुछ ख़याल हैं अजीब अजीब से
हिम्मत वाले पल में बदल देते हैं दुनिया को
बे-साल-ओ-सिन ज़मानों में फैले हुए हैं हम
कब फ़िक्र-ओ-ख़याल का असासा कम है
दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था