हर शय ब हर अंदाज़ अलग होती है
हर फ़िक्र की पर्वाज़ अलग होती है
हर अहद को देख उस के पस-मंज़र में
हर अहद की आवाज़ अलग होती है
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Jaun Eliya
Anwar Masood
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Rahat Indori
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यही सोच कर इक्तिफ़ा चार पर कर गए शैख़-जी
कब फ़िक्र-ओ-ख़याल का असासा कम है
हर्फ़-ए-यक़ीं
सितम-ज़दा कई बशर क़दम क़दम पे थे
शो'ले हैं कहीं तेज़ कहीं हैं मद्धम
रस्ते ही में हो जाती हैं बातें बस दो-चार
मुश्किल ही से कर लेती है दुनिया उसे क़ुबूल
बर्बाद सुकून-दर-ओ-दीवार न हो
मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला
दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था
दश्त-ए-अदम का सन्नाटा