रुत बदली तो ज़मीं के चेहरे का ग़ाज़ा भी बदला
रंग मगर ख़ुद आसमान ने बदले कैसे कैसे
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
Allama Iqbal
Anwar Masood
Rahat Indori
Gulzar
Habib Jalib
Parveen Shakir
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
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मिरी शिकस्त भी थी मेरी ज़ात से मंसूब
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है
चराग़-ए-राहगुज़र लाख ताबनाक सही
दश्त-ए-अदम का सन्नाटा
शो'ले हैं कहीं तेज़ कहीं हैं मद्धम
ख़ालिक़ और तख़्लीक़
सायों से भी डर जाते हैं कैसे कैसे लोग
दुनिया कभी हो सकी न हमराज़ मिरी
हिम्मत वाले पल में बदल देते हैं दुनिया को
वारिस
सितम-ज़दा कई बशर क़दम क़दम पे थे
हर दुकाँ अपनी जगह हैरत-ए-नज़्ज़ारा है