Heart Broken Poetry of Akbar Hyderabadi
नाम | अकबर हैदराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akbar Hyderabadi |
जन्म की तारीख | 1925 |
पहुँच के जो सर-ए-मंज़िल बिछड़ गया मुझ से
न जाने कितनी बस्तियाँ उजड़ के रह गईं
मुसाफ़िरत का वलवला सियाहतों का मश्ग़ला
मिरी शिकस्त भी थी मेरी ज़ात से मंसूब
लबों पर तबस्सुम तो आँखों में आँसू थी धूप एक पल में तो इक पल में बारिश
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है
सच्चा दिया
नए ख़ौफ़ का आज़ार
ख़ालिक़ और तख़्लीक़
हिसार-अंदर-हिसार
हर्फ़-ए-यक़ीं
दश्त-ए-अदम का सन्नाटा
ये कौन मेरी तिश्नगी बढ़ा बढ़ा के चल दिया
सितम-ज़दा कई बशर क़दम क़दम पे थे
सायों से भी डर जाते हैं कैसे कैसे लोग
निगह-ए-शौक़ से हुस्न-ए-गुल-ओ-गुलज़ार तो देख
कुल आलम-ए-वुजूद कि इक दश्त-ए-नूर था
जिन पे अजल तारी थी उन को ज़िंदा करता है
जिन के नसीब में आब-ओ-दाना कम कम होता है
घुटन अज़ाब-ए-बदन की न मेरी जान में ला
दूर तक बस इक धुँदलका गर्द-ए-तन्हाई का था
दिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से
दहकते कुछ ख़याल हैं अजीब अजीब से
बस इक तसलसुल-ए-तकरार-ए-क़ुर्ब-ओ-दूरी था
बदन से रिश्ता-ए-जाँ मो'तबर न था मेरा
आँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है