शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा

शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा

जलूस-ए-लाला-ओ-नस्रीं किधर से निकलेगा

मैं जानता हूँ कि उस की ख़बर न आएगी

तनाज़ुर उस का मगर हर ख़बर से निकलेगा

सभी असीर हुए अपनी अपनी सुब्हों के

वो कोई होगा जो क़ैद-ए-सहर से निकलेगा

किसी को अपने सिवा कुछ नज़र नहीं आता

जो दीदा-वर है तिलिस्म-ए-नज़र से निकलेगा

जलाल-ए-हुस्न दिखा मेरे माहताब-ए-जमाल

तू रौशनी है शबों के असर से निकलेगा

शबों को जागते हो जिस के ख़्वाब में 'अकबर'

वो शाहकार कमाल-ए-हुनर से निकलेगा

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Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega In Hindi By Famous Poet Akbar Hameedi. Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega is written by Akbar Hameedi. Complete Poem Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega in Hindi by Akbar Hameedi. Download free Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega Poem for Youth in PDF. Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega is a Poem on Inspiration for young students. Share Sharar-e-sang Jo Is Shor-o-shar Se Niklega with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.