गई गुज़री कहानी लग रही है
गई गुज़री कहानी लग रही है
मुझे हर शय पुरानी लग रही है
वो कहता है कि फ़ानी है ये दुनिया
मुझे तो जावेदानी लग रही है
ये ज़िक्र-ए-आसमाँ कैसा कि मुझ को
ज़मीं भी आसमानी लग रही है
वो इस हुस्न-ए-तवज्जोह से मिले हैं
ये दुनिया पुर-मआनी लग रही है
ग़ज़ल दुनिया में रहता हूँ मैं 'अकबर'
ये मेरी राजधानी लग रही है
(879) Peoples Rate This