अकबर हमीदी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अकबर हमीदी
नाम | अकबर हमीदी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akbar Hameedi |
जन्म की तारीख | 1935 |
कोई नादीदा उँगली उठ रही है
किसी को अपने सिवा कुछ नज़र नहीं आता
हवा सहला रही है उस के तन को
फ़नकार ब-ज़िद है कि लगाएगा नुमाइश
ज़ोर-ओ-ज़र का ही सिलसिला है यहाँ
तिरा आँचल इशारे दे रहा है
तमाम आलम-ए-इम्काँ मिरे गुमान में है
शरार-ए-संग जो इस शोर-ओ-शर से निकलेगा
रह-ए-गुमाँ से अजब कारवाँ गुज़रते हैं
रात आई है बच्चों को पढ़ाने में लगा हूँ
नाम 'अकबर' तो मिरा माँ की दुआ ने रक्खा
मुझे लिक्खो वहाँ क्या हो रहा है
कई आवाज़ों की आवाज़ हूँ मैं
कहते हैं हम उधर हैं सितारा है जिस तरफ़
कहा था उस ने मोहब्बत की आबरू रखना
काफ़िर था मैं ख़ुदा का न मुंकिर दुआ का था
हू-ब-हू आप ही की मूरत है
हरीफ़-ए-गर्दिश-ए-अय्याम तो बने हुए हैं
हँसी में साग़र-ए-ज़र्रीं खनक खनक जाए
गई गुज़री कहानी लग रही है
इक लम्हे ने जीवन-धारा रोक लिया
दिल की गिर्हें कहाँ वो खोलता है
देखने को कोई तय्यार नहीं है भाई
अभी ज़मीन को हफ़्त आसमाँ बनाना है