लोग कहते हैं कि बद-नामी से बचना चाहिए
कह दो बे इस के जवानी का मज़ा मिलता नहीं
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दिल वो है कि फ़रियाद से लबरेज़ है हर वक़्त
जल्वा-ए-दरबार-ए-देहली
ग़फ़लत की हँसी से आह भरना अच्छा
इल्म ओ हिकमत में हो अगर ख़्वाहिश-ए-फ़ेम
दिल हो ख़राब दीन पे जो कुछ असर पड़े
जब मैं कहता हूँ कि या अल्लाह मेरा हाल देख
सीने से लगाएँ तुम्हें अरमान यही है
बहुत रहा है कभी लुत्फ़-ए-यार हम पर भी
मेरी तक़दीर मुआफ़िक़ न थी तदबीर के साथ
डिनर से तुम को फ़ुर्सत कम यहाँ फ़ाक़े से कम ख़ाली
आई होगी किसी को हिज्र में मौत
जो तुम्हारे लब-ए-जाँ-बख़्श का शैदा होगा