ग़ज़ब है वो ज़िद्दी बड़े हो गए
मैं लेटा तो उठ के खड़े हो गए
Mohsin Naqvi
Wasi Shah
Rahat Indori
Ahmad Faraz
Mir Taqi Mir
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Habib Jalib
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Anwar Masood
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(1957) Peoples Rate This
जब यास हुई तो आहों ने सीने से निकलना छोड़ दिया
भूलता जाता है यूरोप आसमानी बाप को
ग़फ़लत की हँसी से आह भरना अच्छा
जिस तरफ़ उठ गई हैं आहें हैं
आह जो दिल से निकाली जाएगी
फ़लसफ़ी को बहस के अंदर ख़ुदा मिलता नहीं
कुछ तर्ज़-ए-सितम भी है कुछ अंदाज़-ए-वफ़ा भी
इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी
क्या जानिए सय्यद थे हक़ आगाह कहाँ तक
उन्हें निगाह है अपने जमाल ही की तरफ़
इलाही कैसी कैसी सूरतें तू ने बनाई हैं
ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे