Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_1c7deb109296ec0f969d78c4d0af72e9, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे - अकबर इलाहाबादी कविता - Darsaal

ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे

ज़िद है उन्हें पूरा मिरा अरमाँ न करेंगे

मुँह से जो नहीं निकली है अब हाँ न करेंगे

क्यूँ ज़ुल्फ़ का बोसा मुझे लेने नहीं देते

कहते हैं कि वल्लाह परेशाँ न करेंगे

है ज़ेहन में इक बात तुम्हारे मुतअल्लिक़

ख़ल्वत में जो पूछोगे तो पिन्हाँ न करेंगे

वाइज़ तो बनाते हैं मुसलमान को काफ़िर

अफ़्सोस ये काफ़िर को मुसलमाँ न करेंगे

क्यूँ शुक्र-गुज़ारी का मुझे शौक़ है इतना

सुनता हूँ वो मुझ पर कोई एहसाँ न करेंगे

दीवाना न समझे हमें वो समझे शराबी

अब चाक कभी जेब ओ गरेबाँ न करेंगे

वो जानते हैं ग़ैर मिरे घर में है मेहमाँ

आएँगे तो मुझ पर कोई एहसाँ न करेंगे

(1409) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge In Hindi By Famous Poet Akbar Allahabadi. Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge is written by Akbar Allahabadi. Complete Poem Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge in Hindi by Akbar Allahabadi. Download free Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge Poem for Youth in PDF. Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge is a Poem on Inspiration for young students. Share Zid Hai Unhen Pura Mera Arman Na Karenge with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.