Coupletss of Akbar Allahabadi
नाम | अकबर इलाहाबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Akbar Allahabadi |
जन्म की तारीख | 1846 |
मौत की तिथि | 1921 |
जन्म स्थान | Allahabad |
ज़रूरी चीज़ है इक तजरबा भी ज़िंदगानी में
ये है कि झुकाता है मुख़ालिफ़ की भी गर्दन
ये दिलबरी ये नाज़ ये अंदाज़ ये जमाल
यहाँ की औरतों को इल्म की परवा नहीं बे-शक
वस्ल हो या फ़िराक़ हो 'अकबर'
उन्हें भी जोश-ए-उल्फ़त हो तो लुत्फ़ उट्ठे मोहब्बत का
तुम्हारे वाज़ में तासीर तो है हज़रत-ए-वाइज़
तुम नाक चढ़ाते हो मिरी बात पे ऐ शैख़
तिफ़्ल में बू आए क्या माँ बाप के अतवार की
तय्यार थे नमाज़ पे हम सुन के ज़िक्र-ए-हूर
तश्बीह तिरे चेहरे को क्या दूँ गुल-ए-तर से
तअल्लुक़ आशिक़ ओ माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था
तहसीन के लायक़ तिरा हर शेर है 'अकबर'
सीने से लगाएँ तुम्हें अरमान यही है
सिधारें शैख़ काबा को हम इंग्लिस्तान देखेंगे
शैख़ की दावत में मय का काम क्या
शैख़ अपनी रग को क्या करें रेशे को क्या करें
सौ जान से हो जाऊँगा राज़ी मैं सज़ा पर
समझ में साफ़ आ जाए फ़साहत इस को कहते हैं
सब हो चुके हैं उस बुत-ए-काफ़िर-अदा के साथ
रक़ीबों ने रपट लिखवाई है जा जा के थाने में
रहता है इबादत में हमें मौत का खटका
रह-ओ-रस्म-ए-मोहब्बत इन हसीनों से मैं क्या रक्खूँ
रहमान के फ़रिश्ते गो हैं बहुत मुक़द्दस
क़ौम के ग़म में डिनर खाते हैं हुक्काम के साथ
पूछा 'अकबर' है आदमी कैसा
पब्लिक में ज़रा हाथ मिला लीजिए मुझ से
पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख आबले 'अकबर'
नाज़ क्या इस पे जो बदला है ज़माने ने तुम्हें