Sad Poetry of Akbar Ali Khan Arshi Zadah
नाम | अकबर अली खान अर्शी जादह |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Akbar Ali Khan Arshi Zadah |
ये तन घिरा हुआ छोटे से घर में रहता है
वही गुमाँ है जो उस मेहरबाँ से पहले था
तेरा ख़याल जाँ के बराबर लगा मुझे
सिखा सकी न जो आदाब-ए-मय वो ख़ू क्या थी
सज़ा है किस के लिए और जज़ा है किस के लिए
सन्नाटा तूफ़ाँ से सिवा हो ये भी तो हो सकता है
मिरे ख़्वाबों में ख़यालों में मिरे पास रहो
किया है मैं ने तआ'क़ुब वो सुब्ह-ओ-शाम अपना
कभी ज़ख़्म ज़ख़्म निखर के देख कभी दाग़ दाग़ सँवर के देख
हुस्न ही के दम से हैं ये कहानियाँ सारी
आज यूँ मुझ से मिला है कि ख़फ़ा हो जैसे