Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_5bf3d0cb24b8e2b9b7541136190b41b4, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी - अजमल सिराज कविता - Darsaal

गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी

गुज़र गई है अभी साअत-ए-गुज़िश्ता भी

नज़र उठा कि गुज़र जाएगा ये लम्हा भी

बहुत क़रीब से हो कर गुज़र गई दुनिया

बहुत क़रीब से देखा है ये तमाशा भी

गुज़र रहे हैं जो बार-ए-नज़र उठाए हुए

ये लोग महव-ए-तमाशा भी हैं तमाशा भी

वो दिन भी थे कि तिरी ख़्वाब-गीं निगाहों से

पुकारती थी मुझे ज़िंदगी भी दुनिया भी

जो बे-सबाती-ए-आलम पे बहस थी सर-ए-बज़्म

मैं चुप रहा कि मुझे याद था वो चेहरा भी

कभी तो चाँद भी उतरेगा दिल के आँगन में

कभी तो मौज में आएगा ये किनारा भी

निकाल दिल से गए मौसमों की याद 'अजमल'

तिरी तलाश में इमरोज़ भी है फ़र्दा भी

(1059) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi In Hindi By Famous Poet Ajmal Siraj. Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi is written by Ajmal Siraj. Complete Poem Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi in Hindi by Ajmal Siraj. Download free Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi Poem for Youth in PDF. Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi is a Poem on Inspiration for young students. Share Guzar Gai Hai Abhi Saat-e-guzishta Bhi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.