जिस दिन से गया वो जान-ए-ग़ज़ल हर मिसरे की सूरत बिगड़ी
जिस दिन से गया वो जान-ए-ग़ज़ल हर मिसरे की सूरत बिगड़ी
हर लफ़्ज़ परेशाँ दिखता है, इस दर्जा वरक़ नमनाक हुआ
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हर लफ़्ज़ परेशाँ दिखता है, इस दर्जा वरक़ नमनाक हुआ
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