Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_2dbdd1c5f19aac7484b7fb7aa352b424, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं - अजमल सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं

अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं

इश्क़ में टपकें तो हैं मोती, नफ़रत में अंगारे हैं

तुम से मिल कर खिल उठता था, तुम से छूट के फीका हूँ

ऐ रंगरेज़ मिरे चेहरे के सारे रंग तुम्हारे हैं

गरमी की लू में तपने के ब'अद ही पानी का है मज़ा

तुझ को जीतना आसाँ था, हम जान के तुझ को हारे हैं

ऐ पुर्वाई मेरी ख़ुशबू उस चौखट के दम से है

तू भी गुज़र के देख जहाँ मैं ने कुछ लम्हे गुज़ारे हैं

मुँह से बताओ या न बताओ तुम हम को दिल की बातें

जान-ए-मन ये नैन तुम्हारे, ये जासूस हमारे हैं

ऐसी बात मिलन में कब होगी जैसी इस पल में है

सब के बीच में मैं हूँ, वो है ओर ख़ामोश इशारे हैं

तेरे मुँह पर तेरी हम ने कभी न की तारीफ़ ज़रा

लिखने बैठे तो काग़ज़ पर रख दिए चाँद सितारे हैं

(771) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain In Hindi By Famous Poet Ajmal Siddiqi. Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain is written by Ajmal Siddiqi. Complete Poem Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain in Hindi by Ajmal Siddiqi. Download free Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain Poem for Youth in PDF. Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain is a Poem on Inspiration for young students. Share Alag Alag Tasiren In Ki, Ashkon Ke Jo Dhaare Hain with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.