अजमल सिद्दीक़ी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का अजमल सिद्दीक़ी
नाम | अजमल सिद्दीक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Ajmal Siddiqi |
जन्म की तारीख | 1981 |
जन्म स्थान | Delhi |
सब ने देखा मुझे उठता हुआ मेरे घर से
ये ही हैं दिन, बाग़ी अगर बनना है बन
मेरे साथ सु-ए-जुनून चल मिरे ज़ख़्म खा मिरा रक़्स कर
क्या क्या न पढ़ा इस मकतब में, कितने ही हुनर सीखे हैं यहाँ
कभी ख़ौफ़ था तिरे हिज्र का कभी आरज़ू के ज़वाल का
जिस दिन से गया वो जान-ए-ग़ज़ल हर मिसरे की सूरत बिगड़ी
हर एक सुब्ह वज़ू करती हैं मिरी आँखें
दिल तो सादा है तेरी हर बात को सच्चा मानता है
बोल पड़ता तो मिरी बात मिरी ही रहती
बाज़ार में इक चीज़ नहिं काम की मेरे
अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं
आस पे तेरी बिखरा देता हूँ कमरे की सब चीज़ें
ज़िंदगी रोज़ बनाती है बहाने क्या क्या
रो रो के बयाँ करते फिरो रंज-ओ-अलम ख़ूब
न नज़र से कोई गुज़र सका न ही दिल से मलबा हटा सका
खुल के बरसना और बरस कर फिर खुल जाना देखा है
ख़त जो तेरे नाम लिखा, तकिए के नीचे रखता हूँ
इतराता गरेबाँ पर था बहुत, रह-ए-इश्क़ में कब का चाक हुआ
इतना करम इतनी अता फिर हो न हो
दुखे दिलों पे जो पड़ जाए वो तबीब नज़र
अलग अलग तासीरें इन की, अश्कों के जो धारे हैं