Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ad6e1edfa398cb249c8039e67cbe66d1, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़माने हो गए तेरे करम की आस लगी - अजीत सिंह हसरत कविता - Darsaal

ज़माने हो गए तेरे करम की आस लगी

ज़माने हो गए तेरे करम की आस लगी

क़रीब-ए-मय-कदा सहरा सी मुझ को प्यास लगी

लहू रुलाते हैं मुझ को सुहावने मंज़र

चटकती चाँदनी तेरे बिना उदास लगी

न उस में मय है न पानी तो प्यास कैसे बुझे

ये ज़िंदगी मुझे टूटा हुआ गिलास लगी

ये गर्म गर्म से आँसू बता रहे हैं यही

ज़रूर आग कहीं दिल के आस-पास लगी

यहाँ तो कोई भी मालिक नहीं मिरे साहब

तमाम ख़ल्क़ मुझे ख़्वाहिशों की दास लगी

जहेज़ नाम ही से रंग उड़ गया उस का

ग़रीब बाप की बेटी जहाँ-शनास लगी

कड़कती धूप में चल तो पड़ी दुल्हन 'हसरत'

क़दम क़दम पे उसे रास्ते में प्यास लगी

(945) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi In Hindi By Famous Poet Ajeet Singh Hasrat. Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi is written by Ajeet Singh Hasrat. Complete Poem Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi in Hindi by Ajeet Singh Hasrat. Download free Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi Poem for Youth in PDF. Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi is a Poem on Inspiration for young students. Share Zamane Ho Gae Tere Karam Ki Aas Lagi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.