जुस्तुजू में कमाल करता जा
जुस्तुजू में कमाल करता जा
तपते सहराओं से गुज़रता जा
सर्द आहों से दिल की आग बुझा
गर्म अश्कों से जाम भरता जा
आज मेरा भरम भी रह जाए
इक उचटती निगाह करता जा
मेरी पहचान हो जहाँ से अलग
मेरे ख़ाके में रंग भरता जा
ख़ुद से मिलने की है अगर चाहत
ख़ौफ़ के जाल को कतरता जा
तुझ को 'हसरत' बनाएगी कुंदन
आग में कूद कर निखरता जा
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