Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_addf23cf85588bf53cfd99f87fd66658, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी - अजय सहाब कविता - Darsaal

वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी

वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी

तमद्दुन और मज़हब की ये ख़ूनी शाम है साक़ी

कमाल-ए-फ़न मिरा अब तक निहाँ है ऐसे दुनिया से

कि ज्यूँ अब्दुलहई में इक अलिफ़ गुमनाम है साक़ी

मेरी गंग-ओ-जमन तहज़ीब की दुख़्तर है ये उर्दू

इसे मुस्लिम बनाने की ये साज़िश आम है साक़ी

करेंगे अम्न की बातें दिलों में बुग़्ज़ रक्खेंगे

यही रस्म-ए-जहाँ और फ़ितरत-ए-अक़वाम है साक़ी

क़द-ए-शाइर के बदले देखिए मेयार शे'रों का

फ़क़त इतना मिरी ग़ज़लों का ये पैग़ाम है साक़ी

अरूज़-ओ-इल्म की ता'लीम मुझ को कब रही हासिल

मिरा उस्ताद तो बस ये ग़म-ए-अय्याम है साक़ी

वही ग़ालिब है अब तो जो ख़रीदे शोहरतें अपनी

रुबाई बेचने वाला उमर-'ख़य्याम' है साक़ी

ये ग़ज़लें ग़ैब से नाज़िल नहीं अश्कों का हासिल हैं

मिरा ये दर्द ही सब से बड़ा इल्हाम है साक़ी

(814) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi In Hindi By Famous Poet Ajay Sahaab. Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi is written by Ajay Sahaab. Complete Poem Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi in Hindi by Ajay Sahaab. Download free Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi Poem for Youth in PDF. Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi is a Poem on Inspiration for young students. Share Wahi Hain Qatl-o-ghaarat Aur Wahi Kohram Hai Saqi with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.