Ghazals of Ajay Sahaab
नाम | अजय सहाब |
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अंग्रेज़ी नाम | Ajay Sahaab |
जन्म की तारीख | 1977 |
यूँ ही हर बात पे हँसने का बहाना आए
वो जो फूल थे तिरी याद के तह-ए-दस्त-ए-ख़ार चले गए
वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ी
शाम आई है लिए हाथ में यादों के चराग़
सहरा-ए-ला-हुदूद में तिश्ना-लबी की ख़ैर
मेरे अंदर जो इक फ़क़ीरी है
लगा के धड़कन में आग मेरी ब-रंग-ए-रक़्स-ए-शरर गया वो
जब भी मिलते हैं तो जीने की दुआ देते हैं
हम भी गुज़र गए यहाँ कुछ पल गुज़ार के
फ़न जो मेआ'र तक नहीं पहुँचा
इक बंद हो गया है तो खोलेंगे बाब और
बिखरा हूँ जब मैं ख़ुद यहाँ कोई मुझे गिराए क्यूँ
भूल पाए न तुझे आज भी रोने वाले
अश्कों से कब मिटे हैं दामन के दाग़ यारो