दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ
दिए मुंडेर प रख आते हैं हम हर शाम न जाने क्यूँ
शायद उस के लौट आने का कुछ इम्कान अभी बाक़ी है
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शायद उस के लौट आने का कुछ इम्कान अभी बाक़ी है
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