डाइरी में सारे अच्छे शेर चुन कर लिख लिए
एक लड़की ने मिरा दीवान ख़ाली कर दिया
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कष्ट
ये बरसों का तअल्लुक़ तोड़ देना चाहते हैं हम
जो मिरी शबों के चराग़ थे जो मिरी उमीद के बाग़ थे
कभी तू ने ख़ुद भी सोचा कि ये प्यास है तो क्यूँ है
मैं तकिए पर सितारे बो रहा हूँ
धड़कन धड़कन यादों की बारात अकेला कमरा
फ़त्ह का ग़म
फूल थे रंग थे लम्हों की सबाहत हम थे
शहर-ए-हवा में जलते रहना अंदेशों की चौखट पर
रस्ते का इंतिख़ाब ज़रूरी सा हो गया
किसी ने दिल के ताक़ पर जला के रख दिया हमें