Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_e363eba7cdb5f7afb17fb54a7f2eabb2, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था - ऐतबार साजिद कविता - Darsaal

तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था

तिरे जैसा मेरा भी हाल था न सुकून था न क़रार था

यही उम्र थी मिरे हम-नशीं कि किसी से मुझ को भी प्यार था

मैं समझ रहा हूँ तिरी कसक तिरा मेरा दर्द है मुश्तरक

इसी ग़म का तू भी असीर है इसी दुख का मैं भी शिकार था

फ़क़त एक धुन थी कि रात-दिन इसी ख़्वाब-ज़ार में गुम रहें

वो सुरूर ऐसा सुरूर था वो ख़ुमार ऐसा ख़ुमार था

कभी लम्हा-भर की भी गुफ़्तुगू मिरी उस के साथ न हो सकी

मुझे फ़ुर्सतें नहीं मिल सकीं वो हवा के रथ पर सवार था

हम अजीब तर्ज़ के लोग थे कि हमारे और ही रोग थे

मैं ख़िज़ाँ में उस का था मुंतज़िर उसे इंतिज़ार-ए-बहार था

उसे पढ़ के तुम न समझ सके कि मिरी किताब के रूप में

कोई क़र्ज़ था कई साल का कई रत-जगों का उधार था

(1478) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha In Hindi By Famous Poet Aitbar Sajid. Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha is written by Aitbar Sajid. Complete Poem Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha in Hindi by Aitbar Sajid. Download free Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha Poem for Youth in PDF. Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share Tere Jaisa Mera Bhi Haal Tha Na Sukun Tha Na Qarar Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.