मुहताज हम-सफ़र की मसाफ़त न थी मिरी

मुहताज हम-सफ़र की मसाफ़त न थी मिरी

सब साथ थे किसी से रिफ़ाक़त न थी मिरी

हक़ किस से माँगता कि मकीनों के साथ साथ

दीवार-ओ-बाम-ओ-दर को ज़रूरत न थी मिरी

सच बोल के भी देख लिया उन के सामने

लेकिन उन्हें पसंद सदाक़त न थी मिरी

मैं जिन पे मर मिटा था वो काग़ज़ के फूल थे

रस्मी मुकालमे थे मोहब्बत न थी मिरी

जो दूसरों के दुख थे वही मेरे दुख भी थे

कुछ ऐसी मुख़्तलिफ़ भी हिकायत न थी मिरी

बस कुछ उसूल थे जो ब-हर-हाल थे अज़ीज़

जानम किसी से वर्ना अदावत न थी मिरी

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Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri In Hindi By Famous Poet Aitbar Sajid. Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri is written by Aitbar Sajid. Complete Poem Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri in Hindi by Aitbar Sajid. Download free Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri Poem for Youth in PDF. Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri is a Poem on Inspiration for young students. Share Muhtaj Ham-safar Ki Masafat Na Thi Meri with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.