मैं बुरा ही सही भला न सही

मैं बुरा ही सही भला न सही

पर तिरी कौन सी जफ़ा न सही

दर्द-ए-दिल हम तो उन से कह गुज़रे

गर उन्हों ने नहीं सुना न सही

शब-ए-ग़म में बला से शग़्ल तो है

नाला-ए-दिल मिरा रसा न सही

दिल भी अपना नहीं रहा न रहे

ये भी ऐ चर्ख़-ए-फ़ित्ना-ज़ा न सही

देख तो लेंगे वो अगर आए

ताक़त-ए-अर्ज़-ए-मुद्दआ न सही

कुछ तो आशिक़ से छेड़-छाड़ रही

कज-अदाई सही अदा न सही

क्यूँ बुरा मानते हो शिकवा मिरा

चलो बेजा सही ब-जा न सही

उक़्दा-ए-दिल हमारा या क़िस्मत

न खुला तुझ से ऐ सबा न सही

वाइज़ो बंदा-ए-ख़ुदा तो है 'ऐश'

हम ने माना वो पारसा न सही

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