Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_ae195d4dc51410a54282d5dce9420fdb, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
तुम्हारे बिन अब के जान-ए-जाँ मैं ने ईद करने की ठान ली है - ऐनुद्दीन आज़िम कविता - Darsaal

तुम्हारे बिन अब के जान-ए-जाँ मैं ने ईद करने की ठान ली है

तुम्हारे बिन अब के जान-ए-जाँ मैं ने ईद करने की ठान ली है

ग़मों के एक एक पल से ख़ुशियाँ कशीद करने की ठान ली है

मैं उस की बातों का ज़हर अपनी ख़मोशियों में उतार लूँगा

अगर मुज़िर है तो मैं ने उस को मुफ़ीद करने की ठान ली है

तलाश की शिद्दतों ने अर्ज़-ओ-समा की सब दूरियाँ मिटा दीं

सो मैं ने अब तेरी जुस्तुजू को शदीद करने की ठान ली है

मशीन बोना है जिन का पेशा उन्हें ज़मीं बेच दी है तुम ने

किसान हो कर ख़ुद अपनी मिट्टी पलीद करने की ठान ली है

ये मेरी तहज़ीब का असासा ही मेरी पहचान बन सकेगा

तमाम कोहना रिवायतों को जदीद करने की ठान ली है

स्याह शब का ग़नीम शायद कि आ गया रौशनी की ज़द में

सभी चराग़ों को जिस ने 'आज़िम' शहीद करने की ठान ली है

(807) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai In Hindi By Famous Poet Ainuddin Azim. Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai is written by Ainuddin Azim. Complete Poem Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai in Hindi by Ainuddin Azim. Download free Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai Poem for Youth in PDF. Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Tumhaare Bin Ab Ke Jaan-e-jaan Maine Id Karne Ki Than Li Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.