पाँव फँसे में हाथ छुड़ाने आया था
पाँव फँसे में हाथ छुड़ाने आया था
तुम से मिल कर वापस जाने आया था
सारा शोर मिरे अंदर का जाग उट्ठा
सन्नाटों में दिल बहलाने आया था
जंगल जैसी रात कहाँ तन्हा कटती
तेरा ग़म भी हाथ बटाने आया था
दुनिया पर मैं ने भी पर्दा डाल दिया
वो भी दिल की बात बताने आया था
आँखें झपकीं अहद-ए-जवानी बीत गया
ले कर कितने ख़्वाब सुहाने आया था
'आज़िम' दिल की काई-ज़दा चट्टानों पर
दर्द का लश्कर पाँव जमाने आया था
(809) Peoples Rate This