हर ऐसे-वैसे से क़ुफ़्ल-ए-क़फ़स नहीं खुलता
हर ऐसे-वैसे से क़ुफ़्ल-ए-क़फ़स नहीं खुलता
इस इम्तिहाँ के लिए कुछ हक़ीर होते हैं
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